गरीब ब्राम्हण और चोर  की हिंदी कहानी  | Bramhan aur chore - Dadi ma ki kahani  hindi -

बहुत पहले की बात है उज्जैन शहर में एक गरीब ब्राम्हण रहता था | वह भिक्षा मांग का अपना जीवन यापन करता था | भीख में जो कुछ मिलता उसी में अपना पेट भरता था और फटे पुराने कपड़े पहनता था |
एक बार किसी सज्जन पुरुष को गरीब ब्राम्हण पर दया आई उसने गरीब ब्राम्हण को दान में एक छोटी गाय दे दी | ब्राम्हण गाय पाकर बहुत खुश हुआ | अब ब्राम्हण प्रति दिन उस गाय की सेवा करता , दिन में भिक्षा मांगता और सांथ ही गाय के लिये जंगल से हरी-हरी घास भी लाता | देखते ही देखते गाय बड़ी हो गई | कुछ समय बाद गाय ने बछड़े को जन्म दिया | अब तो ब्राम्हण की खुशी का ठिकाना नहीं था | अब तो गाय से उसे स्वादिष्ट दूध मिलता और गाय का बछड़ा उसके सांथ खेलता भी था |धीरे -धीरे ब्राम्हण के दिन बदलने लगे |
एक दिन एक चोर की नजर गाय और उसके बछड़े पर पड़ी | उसने बिचार बनाया की कैसे गाय और उसके बछड़े को चोरी करूँ और फिर इन्हें बाजार में बेंज कर ढेर सारा पैसा कमाऊं |चोर ने सोचा कि दिन में ब्राम्हण घर में नहीं रहता है ,लेकिन उस समय चोरी करते किसी ने देख लिया तो बहुत पिटाई होगी| रात में जब ब्राम्हण सो जायेगा तब चोरी करनी चाहिये |चोर ने रात्री में चोरी का मन बनाया |
चोर रात्रि में चोरी के इरादे से अपने घर से निकला | रास्ते में उसे एक बहुत ही भयानक इंसान मिला | चोर उसे देख कर डर गया |
फिर हिम्मत कर चोर ने पूछा- ''तुम कौन हो ?''
उस भयानक इंसान ने जवाब दिया-'' मैं एक ब्रम्हराक्षस हूँ, लेकिन तुम कोन हो और इतनी रात में किधर जा रहे हो ?''
चोर ने उत्तर दिया - '' मैं एक चोर हूँ और एक ब्राम्हण के घर गाय और उसका बछड़ा चुराने जा रहा हूँ | लेकिन ब्रम्हराक्षस तुम किधर जा रहे हो ? "
ब्रम्हराक्षस बोला -''मैं इंसानों को खता हूँ और आज मेरा भोजन वही ब्राम्हण है जिसकी गाय तुम चुराने जा रहे हो ''|
चोर बोला - ''अरे जब अपनी मंजिल एक है तो हम सांथ में ही चलते हैं '' |
और दोनों सांथ सांथ गरीब ब्रम्हण के घर पहुँच गए और ब्रम्हण के सोने का इन्तजार करने लगे |जैसे ही ब्रम्ण को गहरी नींद लगी ब्रम्हराक्षस उसे खाने जाने लगा | चोर ने ब्रम्हराक्षस को टोंका और बोला ''पहले मैं गाय को चुरा लेता हूँ उसके बाद तुम ब्रम्हण को खाना,नहींतो ब्रम्हण के चीखने के कारण लोग जाग जायेंगें और मैं गाय नहीं चुरा पाऊंगा |''
चोर की बात सुनकर ब्रम्हराक्षस को गुस्सा आ गाय और बोला '' , पहले मैं ब्राम्हण को खाऊंगा नहीं तो गाय और बछड़े की आबाज से ब्राम्हण औरमोहल्ले वाले जाग जायेंगे और मैं भूखा की रह जाऊंगा ''|
इसी बात को लेकर चोर और ब्रम्हराक्षस में बहस होनेलगी | बहस होते होते दोनों में जोर जोर से तू-तू , मैं-मैं होने लगी आवाज से ब्राम्हण और मोहल्ले वाले जाग गए |
सभी डंडे लेकर उस स्थान पर पहुँच गए | लोगों को देख चोर कहने लगा -'' यह ब्रम्हराक्षस इस ब्रम्हण को खाने आया था मैं तो इसे रोक रहा था |''
चोर की बात सुनकर ब्रम्हराक्षस बोला -'' नहीं -नहीं यह एक चोर है और ब्राम्हण की गाय और बछड़ा चोरी करने आया था मैंने इसे रोका था और यह मुझसे झगडा करने लगा ''|
दोनों की बात सुनकर ब्रम्हण और मोहल्ले वाले सच्चाई जान गए और चोर और ब्रम्हराक्षस की जमकर पिटाई की | चोर और ब्रम्हराक्षसकिसी तरह अपनी जानबचाकर भागे | और दोबारा कभी-भी लोट कर नहीं आये |

शिक्षा -  गरीब ब्राम्हण और चोर की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि दुष्ट व्यक्ति कभी किसी का भला नहीं कर सकता , बुरे व्यक्तियों से हमेशा दूर रहना चाहिये |