GHAMANDI RAJA AUR SANT KI KAHANI
Raja Aur Sant Ki Kahani

घमंडी राजा और संत की हिंदी  कहानी  | Arrogant king and saint hindi Story


किसी समय की बात है एक राजा को यह घमण्ड  था की उसके राज्य में जितने भी प्राणी हैं उन सभी का भरण पोषण राजा ही करता है | राजा का मानना था कि लोग तो भवगान विष्णु को जगत का पालन कर्ता यूँ ही कहते हैं , भगवान् को किसी ने नहीं देखा है | मैं ही अपनी प्रजा का पालनकर्ता हूँ | कुछ समय पश्चात एक योगी राजा के नगर में आये और नगर के एक घने वृक्ष के नीचे बैठ गए | योगी बहुत पहुंचे हुए संत थे धीरे-धीरे लोग योगी के बारे में जानने लगे और दूर-दूर से लोग उनके दर्शन करने के लिये आने लगे | अब योगी के पास उनके भक्तों की भीड़ लगी रहती थी | एक दिन योगी की प्रसिद्धी उस राजा के दरबार में भी पहुँच गई | जब राजा ने योगी के बारे में सुना तो उसके मन में भी योगी से मिलने की चाह हुई और वह भी योगी से मिलने पहुँच गया | जब राजा योगी के पास पहुंचा तो उसने देखा योगी के पास खाने का कोई पात्र नहीं है |
राजा ने योगी से पूछा- ‘’ आपके पास तो कोई पात्र ही नहीं है तब आपकी भोजन की व्यवस्था कैसे होती है, आपको भोजन किधर से मिलता है |’’
योगी ने उत्तर दिया –‘’ देने वाला तो ईश्वर है , वह सारी व्यवस्था बना देता है और हम इसी तरफ फक्कड़ जीवन जीते हैं |’’
राजा बोला- ‘’ मै सभी प्राणियों का अन्नदाता हूँ और आज से आपके भोजन की व्यवस्था भी कर देता हूँ |’’
राजा की घमण्ड भरी बातें सुनकर योगी ने पूछा-‘’ तुम्हारे राज्य में कितने मनुष्य और जानवर हैं |’’
राजा को इसकी जानकारी नहीं थी तो उसने अनभिज्ञता जाहिर की | तब योगी बोले –‘’ जब तुहें उनकी संख्या तक ज्ञात नहीं है तो तुम उनके भोजन की व्यवस्था कैसे कर सकते हो इसका अर्थ यही है की उन सबकी व्यवस्था भी भगवान ही करता है |’’
राजा योगी की बात से संतुष्ट नहीं हुआ और योगी से कहने लगा-‘’ आज मैं एक डिब्बी में एक कीड़े को बंद कर करके रखता हूँ और फिर में देखता हूँ ईश्वर इसे भोजन कैसे भेजता है |’’
राजा ने एक डिबिया ली और उसमें कीड़े को रख दिया और उसके पास सैनिकों का पहरा बैठा दिया |
दूसरे दिन जब राजा आया तो उसने देखा की कीड़ा चावल का दाना खा रहा है | जो डिबिया को बंद करते समय राजा के माथे पर लगे तिलक से उस डिबिया में गिर गया था |
तब योगी बोला – ‘’ देखा राजन , आपके ना चाहने पर भी भगवान ने इस कीड़े को भोजन दिया वह भी आपके माध्यम से | ठीक इसी प्रकार अन्य जीवों को  देने वाला भगवान ही है और वह माध्यम आपको बनाता है |’’
यह सुनकर राजा भी योगी के को नमन् कर सत्य स्वीकार कर लेता है |

शिक्षा- लोगों को अपने द्वारा किये गए कार्यों का घमण्ड नहीं करना चाहिये क्यूंकि कार्य तो ईश्वर की मर्जी से होते हैं मनुष्य तो एक साधन है |