IMANDARI KA FAL - HINDI KAHANI

ईमानदारी का फल मीठा होता है  -हिंदी कहानी

बहुत समय पहले की बात है  एक राज्यमें एक धनवान  और प्रतिष्ठित व्यक्ति व्यक्ति रहता था | एक बार उसके राज्य  में अकाल पड़ा | चारो तरफ लोग भूख से मर रहे थे पशु पक्षी भी भूख-प्यास से तड़प रहे थे | ऐसी
स्थित में राज्य के उस  धनवान  व्यक्ति ने बच्चों के लिये प्रतिदिन एक रोटी देने का निश्चय किया और चारो तरफ घोषणा करवा दी |
 दूसरे दिन सुबह  से ही उस  व्यक्ति के घर के सामने बच्चों की भीड़ लग गई | वह व्यक्ति अपने हांथों से बच्चों को रोटी बांटने लगा | रोटियां बड़ी-छोटी थीं | सभी बच्चे बड़ी रोटियां लेना चाह रहे थे इसिलए बच्चे आपस में धक्का मुक्की करने लगे | उस धनि व्यक्ति ने देखा एक छोटी बच्ची एक तरफ़ा चुपचाप खड़ी होकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रही थी और जब सभी बच्चों  को रोटियां बंट गई उस लड़की रोटी लेने के लिये आगे बढ़ी | उस बच्ची के लिये एक ही रोटी बची थी वह भी छोटी रोटी थी | बच्ची ने खुशी-खुशी रोटी ले ली और अपने घर चली गई |
दूसरे दिन उस धनि व्यक्ति ने पुनः रोटियां बांटी सभी बच्चों ने फिर रोटियां ली और इस बार भी उस छोटी बच्ची को सबसे आखिरी  में छोटी रोटी ही मिली | कई दिनों तक यह क्रम चलता रहा वह धनवान व्यक्ति रोज इस दृश्य को देखता था | एक दिन बच्ची  रोटी अपने घर ले गई और जब उसने रोटी तोड़ी  तो उसमें सोने का सिक्का मिला | उस बच्ची ने अपनी माँ को सिक्का दिखलाया | उसकी माँ ने सिक्के को धनवान व्यक्ति को वापस करने के लिये कहा |
बच्ची अगले दिन रोटी लेने गई और उस धनि व्यक्ति को सिक्का लौटकर   बोली -'' मुझे रोटी में यह सोने का सिक्का मिला है शायद रोटी बनाते समय आंटे  में गिर गया होगा इसी कारण मैं इस सोने के सिक्के को लौटने आई हूँ |''
उस नन्ही सी बच्ची की बातें सुनकर वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और सोने का सिक्का बच्ची को वापस कर  बोला-बेटी , यह सोने का सिक्का तुम्हारे धेर्य और संतोष का ईनाम है |''
बच्ची बोली- '' मुझे रोटी लेने के लिये धक्के नहीं खाने पड़े यही मेरे लिये ईनाम है मैं इसी में खुश हूँ |''
दरअसल उस धनवान व्यक्ति ने जानबूझ का उस रोटी में सोने का सिक्का डाला था | बच्ची की ईमानदारी देखकर उसने बच्ची को अपनी पुत्री के समान दर्जा दिया |

शिक्षा- '' जो व्यक्ति अनावश्यक लालच नहीं करता और संतोषी जीवन जीता है वह जीवन में हमेशा खुश रहता है |''