sachcha sant aur pyasa gadha  hindi kahani
Sant Aur Pyasa Gadha kahani

सच्चा संत और प्यासा गधा | Sacha Sant Aur Pyasa Gadha -

एक महान संत थे , वे बहुत ही परोपकारी और शांत स्वभाव के थे | एक बार उनके मन में गंगा स्नान करने और गंगा जल को कावड़  में ले जाकर काशी विश्वनाथ भगवान के मंदिर में अर्पित करने का विचार आया | उन्होंने अपने साथियों और शिष्यों  को अपने विचार से अवगत कराया | उनके सभी सांथी और शिष्य  भी गंगा स्नान के लिये निकल पड़े |
गंगा जी पहुंचकर सभी ने जी भर कर गंगा स्नान किया और कावड़  में गंगा जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर के लिये चल पड़े | जब वे मंदिर पहुँचने वाले थे की रास्ते में उन्हें एक गधा दिखलाई दिया | गधा प्यास से तड़प रहा था और चारो तरफ पानी के लिये भटक रहा था | गधे की हालत देख सभी  को उस पर दया आ रही थी परन्तु कावड़ का जल काशी विश्वनाथ जी के लिये था | इसी कारण वे चाह कर भी उस प्यासे गधे को पानी नहीं पिला पा रहे थे |
परन्तु उस महान संत ने बिना कुछ विचार  किये  अपने कावड़ के जल से उस प्यासे गधे की प्यास बुझाई और उसे नवजीवन प्रदान किया | गधा भी पानी पीकर पुनः उठ  खड़ा हुआ और घास चरने लगा |
संत के शिष्यों ने कहा - '' गुरु जी  आपने कावड़ का जल गधे को पिलाकर उसे नवजीवन प्रदान किया है परन्तु अब आप काशी विश्वनाथ जी को जल चडाने से वंचित रह गए |''
संत ने कहा- '' सभी प्राणियों में ईश्वर का अंश होता है और इस गधे को कावड का पानी पिलाकर उसे नव जीवन देने के कारण काशी विश्वनाथ भगवान को भी  ख़ुशी हुई होगी | इसीलिये मुझे  काशी विश्वनाथ भगवान् को जल चडाने के समान ही पुण्य प्राप्त हुआ |
सभी संतों और शिष्यों ने उन्हें श्रध्दाभाव से नमन किया |

शिक्षा- '' हर जीव में ईश्वर का वास होता है और परोपकार से बढकर को धर्म नहीं होता |''