राजा और संत हिंदी कहानी | Raja aur Sant -Moral Strory for Kid in Hindi kahani -
हजारो साल पहले की बात है एक राजा हुआ करता था बह बहुत ही दुष्ट था | उसी राज्य में एक महान संत रहते थे | संत हमेशा राजा के बुरे कामों का विरोध करते थे साथ ही साथ लोगों को अन्याय के विरुद्ध लड़ने के लिये जागरूक भी करते थे | वे लोगों से कहते थे कि हमेशा अन्याय का विरोध करना चाहिये और कभी भी अन्याय का सांथ नहीं देना चाहिये | लोग हमेसा उनकी बातों को बहुत ही ध्यान से सुनते थे और उनकी बातों को मानते भी थे | |धीरे -धीरे उन संत महात्मा की बातें सुनने के लिये बहुत दूर-दूर से लोग आने लगे |धीरे-धीर यह बात उस दुष्ट राजा को पता चली | उसने सोचा की अगर इस संत को मैं सभी के सामने मारता हूँ तो लोगों में इसका सम्मान और ज्यादा बाद जायेगा | इसे इस तरह मारा जाये की किसी को पता भी नहीं चले | राजा ने संत को गुपचुप तरीके से मारने की जबाबदारी के लिये कुछ सैनिकों को नियुक्त किया | राजा ने जिन सैनिकों को नियुक्त किय उनमे से कुछ सैनिक उस संत के लिये बहुत श्रद्धा रखते थे | उन सैनिकों ने संत को बतला दिया कि राजा गुपचुप तरीके से आपको मारना चाहता है इसीलिए आपको यह स्थान को छोड़ कर कहीं और चले जाना चाहिये |
यह बात सुनकर संत महात्मा हंसने लगे और एक दिन अकेले ही उस राजा के पास पहुँच गए |
राजा ने संत को देखकर पूछा - ''आप कौन हो ?''
संत बोले -'' हे राजन ,मैं वही संत हूँ जिसे आप को चुपके से मारना चाहते हैं, मैं अभी अकेला आया हूँ, आप चाहें तो मुझे मार सकते हैं, परन्तु मैं हमेसा गलत बात के विरुद्ध आवाज उठाता रहूँगा ''|
संत की बात सुनकर राजा हक्का-बक्का रह गया और संत की निर्भीकता और सत्य के आगे नतमस्तक हो गया और उन्हें अपना गुरु बना लिया | संत की संगत में राजा ने गरीब प्रजा को परेशान करना बंद कर दिया और और गरीब , दुखियों की मदद करने लगा| अब उस राजा के राज्य में कोई दुखी नहीं था |
शिक्षा- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी गलत का सांथ नहीं देना चाहिये | अच्छे व्यक्ति की संगत में बुरा व्यक्ति भी सुधर जात है ''|
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