एक राजा था उसके अस्तबल में बहुत सारे घोड़े थे लेकिन उन सभी में से एक घोड़ा ऐसा भी था जो सभी घोड़ों से ज्यादा शक्तिशाली और युद्ध कौशल में निपुण था। राजा हर युद्ध में उसकी पीठ पर बैठकर जाता और युद्ध जीत कर आता था इसलिए राजा उसे बहुत प्यार करता था। समय के साथ घोड़ा बूढा हो गया। राजा को लगा कि अब शायद उसका घोड़ा पहले की तरह युद्ध में सहयोग नहीं कर पायेगा इसलिए उसने घोड़े को युद्ध में ले जाना बंद कर दिया । अब घोड़ा सारा दिन अस्तबल में बैठा रहता था या घास चरने मैदान में चला जाता था ।
एक दिन घोडा कहीं दूर निकल गया और रास्ते में आते समय एक नदी मिली नदी में कीचड़ था । घोड़े को लगा की वह आसानी से नदी पार कर लेगा किन्तु जैसे ही उसने नदी पार करने का प्रयास किया वह कीचड़ में फंस गया | घोडा जितना कीचड़ से बाहर आने का प्रयास करता वह उतना ही उसमें फंसता जा रहा था | अपने आप को मुसीवत में घिरा देख घोड़ा जोर-जोर से हिनहिनाने लगा ।
घोड़े की हिनहिनाने की आवाज सुनकर रास्ते से जा रहे राहगीर इकट्ठे हो गए। उन सभी ने मिलजर घोड़े को कीचड़ से निकालने का प्रयास किया किन्तु वे असफल रहे । लोगों ने घोड़े के मालिक का पता किया तो पता चला वह राजा का घोडा है । यह बात राजा तक पहुंचाई गई कि उनका प्यारा घोड़ा गहरे कीचड़ में फँस गया है और कीचड़ से नहीं निकल पा रहा है। राजा अपने सैनिकों के सांथ घटनास्थल पर पहुँचा और घोड़े को निकालने का प्रयास करने लगे किन्तु उन्हें भी सफलता नहीं मिली ।
अब राजा भी बहुत परेशान हो गया उसने अपने मंत्रियों को बुलाकर सलाह ली तभी एक बुजुर्ग मंत्री ने सलाह दी कि घोड़े के पास युद्ध के नगाड़े बजवा दिए जायें और आस-पास युद्ध का माहोल तैयार किया जाए | राजा को बूढ़े मंत्री की सलाह अच्छी लगी और उसने वैसा ही किया । जैसे ही नगाड़े बजे, तलवारों और ढालों की आवाज़ गूंजी वैसे ही बूढ़े घोड़े में मानो फिर से जवानी आ गई और मानो उसकी नसों में खून का संचार कई गुना बढ़ गया हो वह धीरे-धीरे उठ खड़ा हुआ और जोर से हिनहिनाते हुए चमत्कारी रूप से एक झटके में कीचड़ से बाहर आ अगया | राजा ने बूढ़े मंत्री से पूछा- “ ये चमत्कार कैसे हुआ ?”
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Raja aur Budha Ghoda |
मंत्री ने उत्तर दिया – “ ये घोड़ा बूढा जरूर हो गया है लेकिन जब इससे काम नहीं लिया गया तो इसके अंदर का उत्साह और आत्मविश्वास खत्म हो गया था और आज फिर से वही माहौल मिला तो उसमें उत्साह का संचार हुआ और ताकत लौट आई है।” राजा को भी सारी बात समझ में आ गयी और उसने अपने वीर घोड़े को फिर से काम पर रख लिया।
शिक्षा - राजा और बूढ़ा घोडा कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि जीवन में उत्साह और आत्मविश्वास को कभी ख़त्म नहीं होने देना चाहिए ।
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