Hathi aur andhe vyakti ki kahani
हाथी और अंधे व्यक्तियों की कहानी

भगवान कैसे दिखते हैं | Bagwan Kaise Dikhte hen -

एक समय की बात है एक गांव में कहीं से एक बहुत बड़े विद्वान आए । विद्वान से मिलने गांव के सभी लोग एवं सभी धर्मो के गुरु आए । उनके समक्ष सभी धर्म गुरुओं ने अपने-अपने धर्म के अनुसार ईश्वर के स्वरूप का बखान किया और बतलाया कि ईश्वर वैसा ही होता है जैसा उनके  धर्म में कहा गया है बाकी के धर्म गलत बतला रहे हैं  

तभी अतिथि विद्वान ने सभी को एक साथ बुलाया और उनसे कहा कि मैं आपको एक कहानी सुनाता उस कहानी को सुनकर आप समझ जाएंगे कि ईश्वर कैसा दिखाई देता है । उनके द्वारा सुनाई गई  इस प्रकार है - 

एक गांव में बहुत सारे अंधे व्यक्ति रहते थे। उन्होंने कभी भी हाथी को नहीं देखा था। एक बार एक महावत गाँव में अपने साथ एक हाथी लेकर आया। अब गांव में चारों तरफ हाथी के आने की चर्चा थी। 

अंधे व्यक्ति हाथी को देख नहीं सकते थे किंतु वह उसे स्पर्श कर उसका अनुभव लेना चाहते थे। सबसे पहले सबसे बुजुर्ग अंधे व्यक्ति ने हाथी की पीठ में हाथ लगाया और उसे हाथी दीवार की तरह महसूस हुआ। 

इसके पश्चात दूसरा अंधा व्यक्ति हाथी के पास आया और उसने हाथी के कानों को छुआ उसे हाथी सूपे  के समान प्रतीत हुआ। 

अब तीसरे अंधे व्यक्ति की बारी आई उसने हाथी के सिर को  छुआ तो उसके हाथ में हाथी की सूंड आई जो उसे कोमल पेड़ के तने के समान प्रतीत हुई 

जब चौथे व्यक्ति ने हाथी को छुआ तो उसके हाथ में हाथी के पैर आए जो उसे खंभे के समान महसूस हुए। 

पांचवें व्यक्ति के हाथ में हाथी की पूँछ आई  जो उसे किसी मोटी रस्सी के समान प्रतीत हुई। हाथी को छूने के बाद सभी अंधे व्यक्ति अपनी जगह वापस आ गए और एक दूसरे से अपना अनुभव साझा करने लगे। 

पहला व्यक्ति बोला - " भाई हाथी तो दीवार की तरह होता है । " उसकी बात सुनकर  दूसरा व्यक्ति कहता है , '' नहीं-नहीं हाथी तो सूपे  की तरह होता है । "  तीसरा व्यक्ति बोला - "  हाथी ना तो दीवार की तरह होता है ना ही सूपे  की तरह ।  हाथी तो कोमल पेड़ के तने के समान होता है । "

तीसरे व्यक्ति की बात सुनकर चौथा व्यक्ति बोला - " नहीं-नहीं तुम सब गलत बोल रहे हो हाथी तो खंबे के समान होता है  । अंत में पांचवा व्यक्ति कहता है - " आप लोगों को कुछ भी नहीं मालूम हाथी तो एक मोटी रस्सी के जैसा होता है। " 

इस तरह उन पांचों व्यक्तियों में आपस में बहस होने लगते  है सभी को लगता है कि वे ही सही है बाकी सब गलत है। उन सब की बहस ने आपसी झगड़े का रूप ले लिया । "  तभी वहां से एक विद्वान व्यक्ति गुजर रहा था उसने सभी अंधों से उनके झगड़े का कारण पूछा। सभी अंधों ने अपने-अपने कारण बताएं 

तब बुद्धिमान व्यक्ति बोला - " आप सभी अपनी-अपनी जगह सही है क्योंकि आपने हाथी को जितना स्पर्श करके महसूस किया आप केवल उतना ही जानते हैं । हाथी तो इससे कई गुना बड़ा है  जिसने  जो स्पर्श किया अपने अनुभव से वह वही बतला रहा है और वह सत्य भी है। "

ठीक है इसी तरह ईश्वर भी होता है वह इतना विशाल होता है की उसे समझ पाना किसी भी इंसान अथवा धर्म के बस की बात नहीं है। सभी धर्म ईश्वर के बारे में जो बतलाते हैं वह अपनी-अपनी जगह सही है किंतु पूर्ण नहीं है। ईश्वर को जिसने जितना समझा है वह उसके बारे में सिर्फ उतनी ही बातें बतला पाता है और सोचता है कि मैं अथवा मेरा धर्म ही सही है बाकी सभी गलत है जबकि वास्तव में सभी धर्म अपने स्थान पर रही है।

शिक्षा- " भगवान  कैसे दिखते हैं कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी धर्म अपनी-अपनी जगह सही है किन्तु भगवान के नाम पर लड़ना गलत है । "