हाथी और दोस्त की तलाश एक कहानी
हाथी और दोस्त की तलाश 

हाथी और दोस्त  की तलाश | Dost ki Talash kahani -

एक समय की बात है एक जंगल में एक हाथी रहता था। हाथी अकेला था उसका कोई दोस्त नहीं था। दोस्त ना होने के कारण हाथी हमेशा उदास रहता था और किसी से दोस्ती करना चाहता था। 
एक  दिन हाथी अकेला ही जंगल में घूम रहा था तो उसे एक खरगोश दिखलाई दिया । हाथी खरगोश से बोला - " खरगोश भाई ! मेरा कोई दोस्त नहीं है  । क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे ?"

 हाथी के विशाल शरीर को देखकर खरगोश डर गया उसे लगा वह कभी भी हाथी के पैरों के नीचे आकर दब सकता है। खरगोश डरकर बोला- " हाथी भाई ! आप इतने बड़े हो और मैं इतना छोटा सा जानवर  मेरा घर भी छोटा है इसमें आप आ भी नहीं सकते इसलिए हमारी दोस्ती नहीं हो सकती। "

खरगोश के मना करने पर हाथी जंगल में आगे निकल गया और उसे पेड़ पर कुछ बंदर उछलते-कूदते दिखलाई दिए । हाथी बंदरों के पास जाकर बोला- " क्या तुम लोग मुझसे दोस्ती करोगे।"

बंदरों का सरदार बोला - " हाथी महाराज ! आप तो इतने बड़े हो आपको दोस्तों की क्या जरूरत है। हम तो छोटे-छोटे बंदर हैं और पेड़ों पर रहते हैं इन्हीं में उछल कूद करते हैं । आप तो पेड़ पर भी नहीं चढ़ सकते फिर हमारी दोस्ती कैसे होगी ? "

 बंदरों के मना करने पर हाथी उदास होकर फिर आगे चल दिया । हाथी को रास्ते में  कुछ पक्षी दिखलाई दिए। हाथी पक्षियों के मुखिया से बोला- " क्या आप लोग मुझसे दोस्ती करोगे।"

हाथी को देखकर पक्षी डर गए और पक्षियों का मुखिया बोला - " हाथी महाराज ! हम तो आसमान में उड़ते हैं और आप जमीन पर चलते हो । आपकी और हमारी दोस्ती कैसे हो सकती है? 

 इस प्रकार पक्षियों के द्वारा मना करने पर हाथी फिर उदास हो गया और आगे चल दिया। चलते-चलते अब हाथी बहुत थक गया था । हाथी ने सोचा अब किसी तालाब या नदी में जाकर पानी पिया जाए। हाथी एक तालाब के पास पानी पीने लगा तभी उसे पानी में कुछ मछलियां दिखलाई दीं । हाथी मछली से बोला - " मछली बहन ! मेरा कोई दोस्त नहीं है । इस जंगल में मैं अकेला हूं क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी ? "

मछली कुछ सोचते हुए बोली - " हाथी भाई !  आप तो जमीन पर चलने वाले प्राणी हो और मैं पानी में रहने वाली,  अगर मैं पानी के बाहर आती हूं तो मैं जिंदा नहीं रह सकती और आप पानी में ज्यादा देर नहीं रह सकते तो हमारी दोस्ती नहीं हो सकती। "

इस प्रकार सभी जानवरों के द्वारा मना करने पर हाथी उदास होकर अपने घर चला गया। एक  दिन हाथी ने देखा कि जंगल के सारे जानवर बहुत ज्यादा डरे हुए हैं और वह सब डरते हुए इधर-उधर भाग रहे हैं । हाथी ने उनसे पूछा -" आप सब जानवर इस तरह इधर-उधर क्यों भाग रहे हो ?"

 तभी उनमें से एक खरगोश बोला - " हाथी महाराज ! इस जंगल में कहीं से एक शेर आ गया है और वह हम सब को मारकर खा जाएगा ।  इसी डर से हम सब इधर-उधर भाग रहे हैं। "

जानवरों की बात सुनकर हाथी ने सभी को रोका और बोला - " भाइयों ! आप को डरने की कोई जरूरत नहीं है । मैं आपके साथ चलूंगा और उस शेर से बात करूंगा। "

जंगल के सभी जानवर और हाथी शेर  से मिलने के लिए पहुंचे और जैसे ही हाथी को शेर दिखलाई दिया हाथी शेर से बोला - " शेर महाराज ! इस जंगल के सभी जानवर आप से बहुत डर रहे हैं । कृपया आप इस जंगल को छोड़कर चले जाइए। "

हाथी की बात सुनकर शेर को गुस्सा आ गया शेर बोला - " अरे मोटे हाथी ! क्या तू मुझे बतलायेगा कि मुझे कहां रहना चाहिए और कहां नहीं । अपनी औकात में रह नहीं तो मैं तुझे मार डालूंगा। "

शेर के द्वारा बदतमीजी पूर्वक बात करने से  हाथी को गुस्सा आ गया और हाथी ने अपनी सूंड  में शेर को फंसा कर दूर फेंक दिया। अब हाथी और शेर की लड़ाई शुरू हो गई जिसमें शेर की बहुत बुरी हार हुई और बुरी तरह घायल होने के कारण वह जंगल छोड़कर भाग गया। 

जंगल के सारे सारे जानवर हाथी की बहादुरी से बहुत खुश हुए और अब सभी जानवर हाथी से दोस्ती करना चाहते थे। सभी जानवरों ने हाथी को अपना दोस्त बना लिया और उसे जंगल का राजा घोषित कर दिया। इस प्रकार हाथी और जंगल के सभी जानवर आपस में दोस्त बन गए और सुख पूर्वक जंगल में रहने लगे।

शिक्षा - हाथी की इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हम सभी को आपस में मिलकर रहना चाहिए |

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