Gadha, lomdi aur bandar ki kahani
गधा, लोमड़ी और बन्दर की कहानी

गधा, लोमड़ी और बन्दर की कहानी | Gadh, Lomdi aur Bandar ki Kahani -

एक जंगल में एक गधा और एक लोमड़ी  रहते थे । गधा और लोमड़ी के बीच  बहुत अच्छी दोस्ती थी । वह दोनों अक्सर जंगल में सांथ घूमने जाया करते थे। बरसात के मौसम में जंगल में चारों तरफ हरी-हरी घास फैली हुई थी जिससे जंगल बहुत ही सुहाना दिखलाई दे रहा था। आसमान में नीलिमा छाई हुई थी और आसमान बहुत सुन्दर दिखलाई दे रहा था |
हरी-हरी घास को देखकर  लोमड़ी गधे से बोली- " गर्मियों के दिनों में जंगल कितना सूखा पड़ा था और अब देखो  हरी-भरी घास के कारण जंगल कितना सुंदर दिखाई दे रहा है । " 
लोमड़ी की बात सुनकर गधा  बोला- " लोमड़ी बहन ! तुम यह क्या बात कर रही हो घास भी कहीं हरी होती है क्या ?  घास का रंग तो नीला होता है। "
गधे की बात सुनकर लोमड़ी को हंसी आ गई और लोमड़ी गधे से बोली- " अरे गधे भाई ! घास का रंग हरा ही होता है। "
गधा फिर बोला- " घास तो मेरा भोजन है तो क्या मुझे घास का रंग भी नहीं पता  है ?  तुम तो मांसाहारी जीव हो तुम्हे क्या पता घास का रंग कैसा होता है । 
गधा और लोमड़ी दोनों अपनी बात पर अड़े रहे  धीरे-धीरे दोनों में बहस होने लगी और दोनों एक दूसरे की बात मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। दोनों को ही लग रहा था वही सही है और वह ही दूसरे से ज्यादा बुद्धिमान है । 
लोमड़ी तो जन्मजात चालाक होती हैं  वह गधी से बोली - " इस तरह अगर हम दोनों बहस करते रहे तो हमारी आपस में लड़ाई हो जाएगी और और इससे हमारी दोस्ती खराब हो जाएगी | इसीलिए अब इस बात का निर्णय किसी और पर छोड़ देते हैं कि कौन सही है और कौन गलत । जो सही होगा वही बुद्धिमान माना जाएगा। "
उसी जंगल में एक बूढ़ा बंदर रहता था । बंदर बहुत ही होशियार और बुद्धिमान था । जंगल के सारे जानवर अपने आपसी विवाद सुलझाने के लिए उसी बंदर के पास जाया करते थे। गधा और लोमड़ी दोनों ने निर्णय लिया की इस बात का फैसला बंदर पर ही छोड़ देते हैं कि कौन सही है और कौन गलत । 
लोमड़ी मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि वह जानती थी की घास का रंग तो हरा ही होता है इसीलिए निर्णय उसी के पक्ष में आएगा। गधा और लोमड़ी दोनों  मिलकर बूढ़े बंदर के पास गए और उसे सारी बात बतलाई । लोमड़ी बन्दर से बोली- "  बन्दर भाई ! आप जो भी निर्णय लेंगे  उसे हम दोनों सहर्ष  स्वीकार करेंगे। 
गह्दे और लोमड़ी की बात बंदर ने बड़े ध्यान से सुनी  और अपना निर्णय देते हुए बोला - " घास का रंग तो नीला ही होता है। इसीलिए इस विवाद में जीत गधे की ही होगी। " 
बंदर की बात सुनकर गधा तो बहुत खुश हुआ और  नाचता-गाता वहां से चला गया। किंतु बंदर के इस निर्णय से लोमड़ी को बड़ा आश्चर्य हुआ  और निराशा भी  हुई। गधे के जाते ही लोमड़ी बंदर से बोली - " यह तो आप भी जानते हैं कि घास का रंग तो हरा ही होता है फिर आपने गधे को विजई घोषित क्यों किया? "
 बूढ़ा बंदर बोला - " यह सत्य है कि घास का रंग हरा ही होता है किंतु तुम तो एक बुद्धिमान प्राणी माने जाते हो और बुद्धिमान होकर एक मूर्ख गधे से वाद-विवाद कर रहे हो। इसीलिए बुद्धिमानी के तराजू पर तुम फेल हो जाते हो ।" लोमड़ी को भी सारी बात समझ में आ गई और वह अपना सा मुंह लेकर वहां से चली गई।

शिक्षा - गधा और लोमड़ी की इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी मूर्खों से अनावश्यक वाद विवाद नहीं करना चाहिए अन्यता हमें ही बेज्जत होना पड़ेगा 

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