bagula aur kekda kahani

दुष्ट बगुला और केकड़ा  | Heron and crab story in hindi -

बहुत समय पहले की बात है एक बगुला था वह धूर्त था  वह अब बूढ़ा हो गया था  | सरोवर के पास के सभी जीव-जंतु उसे बगुला दादा कहकर पुकारते थे | बगुला बूढ़ा होने के कारण  शिकार नहीं कर पा रहा था | एक बार भूख के कारण वह तालाब के  किनारे रो रहा था | एक केकड़े ने उस बगुले को रोते हुए देख लिया |
 केकड़ा बगुले के पास आया और उससे पूछने लगा - '' दादा बगुला क्या बात है आप बड़े परेशान लग रहे हो और रो भी रहे हो ?''
बगुला अगर केकड़े को सच बतला देता तो सरोवर के सारे जीव  बगुले का मजाक बना लेते |
 धूर्त बगुले के दिमाग में एक योजना आई उसने तत्काल केकड़े को उत्तर दिया - '' क्या बतलाऊं केकड़े भाई , मुझे अभी-अभी एक बहुत बड़े ज्योतिषी मिले थे वो मुझसे कहने लगे  कि आने वाले दो वर्ष के लिये इस क्षेत्र में अकाल पड़ेगा  उसमे यहाँ के सभी जीव जंतुओं  को खाने के लाले पड़ जायेंगें  और यह तालाब भी सूख  जायेगा | मै तो उड़कर कहीं और चला जाऊंगा परन्तु इस तालाब के सभी-जीव जंतु और मछलियों का क्या होगा ? यही सोच कर मैं रो रहा हूँ |
केकड़ा डर कर बोला - '' बगुला दादा आप तो सच कह रहे हैं इस सरोवर में तो बहुत कम पानी है यह तो जल्द ही समाप्त हो जायेगा , आप तो बहुत  बुजुर्ग और अनुभवी हो , आपने पहले भी इस तरह की मुसीबतों का सामना किया होगा , अब आप ही बतलाओ क्या करना चाहिये ?
बगुला कहने लगा -'' हाँ तुम सही कह रहे हो मैंने पहले भी  इस तरह की मुसीबतों का सामना किया है , मै तो उड़ कर कहीं दूसरे देश चला जाऊंगा परन्तु मुझे चिंता इस सरोवर में रहने वाले  जीवों की है जो हमेशा दुःख-सुख में मेरे सांथ रहे उन्हें मुसीबत के समय छोड़ कर कैसे चला जाऊं ?
केकड़ा बोला -'' आखिर हम कर भी क्या सकते हैं ?''
दुष्ट बगुले ने तत्काल जबाब दिया - '' यहाँ से कुछ मील दूर एक बहुत बड़ा सरोवर है , वह सरोवर इतना विशाल है की आने वाले दस वर्ष तक भी बारिश ना हो तो भी  नहीं सूखेगा |हम सभी को वहीँ चलना चाहिये |''
केकड़ा भी बगुले की बात से सहमत हो गया और अकाल आने की खबर सरोवर के आस-पास  जंगल में आग की तरह फ़ैल गई | सरोवर के सभी जीव बगुले की बातों में आ गए और मुसीबत से बचने की सलाह लेने लगे |
बगुला ने सभी से कहा -'' अभी अकाल पड़ने में समय है तब तक सरोवर के सारे जीवों को मैं अपनी पीठ पर बैठाकर बड़े तालाब तक ले जाऊंगा और अकाल आते-आते इस सरोवर के सारे जीवों को  बड़े तालाब में पहुंचा दूंगा |
सरोवर के सभी जीव बगुले की बातों में आकार तालाब छोड़कर दूसरे  तालाब में जाने के लिये तैयार हो गए | दुष्ट बगुला भी यही चाहता था | ''
दुष्ट बगुला  प्रतिदिन किसी ना किसी जीव को  तालाब से अपनी पीठ पर बैठाकर ले जाता और एक पहाड़ी पर गिराकर उसे मार देता और खा जाता था | कई दिनों तक  बगुला इसी तरह मछलियों और तालाब के दूसरे  जीवों को मार देता और खा जाता था और मौज से अपना जीवन जी रहा था |
एक दिन केकड़ा बगुले के पास पहुंचा और बोला -'' बगुला दादा  सबसे पहले अकाल के बारे में अपनी चर्चा हुई थी , अभी तक आपने कई मछलियों और जीवों को बड़े सरोवर भेज दिया है परन्तु मुझे अभी तक नहीं भेजा है ,कृपया मुझे भी जल्द से जल्द वहां भेज दें |''
बगुला भी सोचने लगा कि कई दिनों से मछलियाँ खा रहा हूँ क्यूँ ना आब केकड़े का स्वाद चखा जाये | बगुला तत्काल तैयार हो गया | केकड़ा बगुले की पीठ पर सवार हो गया | जब दोनों उस पहाड़ के पास पहुंचे जिधर बगुला मछलियों और दुसरे जीवों को गिराकर मार देता था तभी केकड़े की नजर हड्डियों के ढेर पर पड़ी केकड़े को तत्काल सारी कहानी समाज आ गई |
तभी बगुला बोला-'' अरे केकड़े तुम्हारी कोई आखिरी इच्छा हो तो कहो अब मैं तुम्हें यहाँ से गिराकर मार दूंगा और अपना पेट भरूँगा |''
केकड़े ने तत्काल अपने पैने डंक दुष्ट बगुले  की गर्दन में गड़ा  दिए | बगुला जैसे तैसे पहाड़ी पर उतरा परन्तु तब तक उसके प्राण पखेरू उड़ गए |
केकड़ा धीरे-धीरे वापस अपने सरोवर आ गया जब सरोवर के दुसरे जीवों ने बगुला के बारे में पूछा तब केकड़े ने सारी बात बतला दी | तालाब के सारे जीवों को अपनी गलती का पछतावा हुआ |

शिक्षा -  बुराई का अंत बुरा ही होता है |