संप और चींटी की कहानी
सांप और चींटी की कहानी 


चींटी और सांप की कहानी | Samap aur Chiti ki kahani -

एक समय की बात है एक जंगल में एक सांप रहता था। सांप जंगल के छोटे-मोटे जानवरों जैसे चूहा, मेंढक, छिपकली, गिलहरी, पक्षियों के अंडों को खाकर बहुत बड़ा और मोटा हो गया था। सांप के विशाल आकार के कारण जंगल के बड़े-बड़े जानवर भी उसके पास आने से डरते थे। जंगल के छोटे-छोटे जानवरों ने सांप की शिकायत हाथी और शेर से भी की किंतु शेर और हाथी  भी उस विशाल सांप का कुछ नहीं कर सके क्योंकि जब भी वह सांप को समझाने जाते तो सांप अपना विशाल फन लेकर उनके सामने खड़ा हो जाता था । सांप कहीं उसे काट ना ले इसी डर से जंगल का कोई जानवर उसके नजदीक नहीं चाहता था।


धीरे-धीरे सांप को यह घमंड हो गया कि जंगल का कोई भी जीव उसका सामना नहीं कर सकता। सांप ने सोचा कि जब जंगल का राजा शेर ही मुझसे डरता है तो क्यों ना मैं भी एक राजा की तरह किसी विशाल घर में रहूं 
। यह सोच कर सांप एक विशाल बरगद के पेड़ के बिल में रहने लगा।

 सांप के आने से डर के कारण बरगद में रहने वाले सभी जीव-जंतु और पक्षी उस पेड़ को छोड़कर चले गए। बरगद के पेड़ के पास ही चीटियों की बांबी थी। सांप जब भी कहीं जाता तो उसे रास्ते में चींटियाँ मिल जाती थी । चींटिया हमेशा अपने काम में व्यस्त रहती थीं और सांप को नमस्कार नहीं करती थी । चीटियों का यह व्यवहार सांप को पसंद नहीं आया । एक दिन वह चीटियों की रानी से बोला , " तुम अपनी सेना को समझा देना कि मैं जब भी यहां से गुजरता हूं तो मुझे सर झुका कर नमस्कार करें नहीं तो मैं सभी को मार दूंगा। "

सांप की  बात चीटियों की रानी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई और उसने सांप की बात मानने से इन्कार कर दिया। सांप ने गुस्से में आकर अपनी पूंछ से चीटियों की बांबी पर प्रहार कर दिया जिससे उनके घर को काफी नुकसान पहुंचा। 

samp aur chinti ki kahani
Samp aur chinti ki kahani 


सांप के इस व्यवहार से सभी चीटियां बहुत अधिक क्रोधित हो गई और उन्होंने एक साथ मिलकर सांप पर हमला कर दिया । चीटियों के काटने से सांप की बहुत बुरी हालत हो गई धीरे-धीरे चीटियों की संख्या बढ़ती जा रही थी और सांप अपने आपको असहाय महसूस करने लगा। आखिरकार चीटियों के हमले से सांप की मौत हो गई और जंगल के जानवरों को उस खतरनाक सांप से मुक्ति मिल गई।

 शिक्षा - " इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी किसी भी जीव को छोटा समझ कर उस पर अत्याचार नहीं करना चाहिए। एकता में बहुत शक्ति होती है।"