Ghar ka na ghat ka

ना घर का ना घाट का | Na Ghar ki Na Ghat ki -


बहुत समय पहले के बात है एक गाँव में एक किसान रहता था | किसान बूढ़ा था और उसकी पत्नी सुन्दर और जवान थी | किसान की पत्नी को हमेशा यह लगता था कि उसकी शादी बूढ़े आदमी से कर दी गई है | यह सोच-सोच कर वह हमेशा दुखी रहती थी |

एक दिन उस गाँव में कहीं से एक ठग आया और उसने किसान की पत्नी को देखा तो वह सब समझ गया कि यह स्त्री अपने पति से प्रसन्न नहीं है | ठग किसान की पत्नी के पास आकर बोला- “ सुन्दरी ! तुम बुत सुन्दर हो | मुझे तुमसे प्यार हो गया है और मैं तुम्हारे सांथ अपना जीवन बिताना चाहता हूँ | क्या तुम मेरे सांथ मेरे घर चलोगी ?"

किसान की पत्नी ठग की बातों में आ गई और अपने पति को छोड़कर उसके सांथ जाने के लिए तैयार हो गई | दोनों ने भागने के लिए समय तय कर लिया | ठग ने कहा – “ तुम्हारा पति तो बूढ़ा हो गया वह धन का क्या करेगा | तुम अपने सांथ घर में रखा धन और जेवर भी रख लेना वो भविष्य में हमारे बहुत काम आयेंगे | “

स्त्री उस ठग की बातो में पहले ही आ चुकी थी और उसके कहे अनुसार उसने घर में रखा धन और जेवर भी अपने पास रख लिए | रात्री में जब उसका पति और पूरा गाँव सो रहा था तब ठग के सांथ घर से भाग गई | सुबह होते-होते जब वे गाँव से बहुत दूर निकल गए रास्ते में उन्हें एक बड़ी नदी मिली | ठग ने सोचा – “ मैं किसी तरह इसका धन लेकर इसे यहीं छोड़ देता हूँ | यह स्त्री वैसे भी अधेड़ उम्र की हो चुकी है | मेरे पास धन रहेगा तो कई जवान सुन्दर स्त्रियाँ मिल जाएँगी | “

नदी को देखकर ठग बोला – “ प्रिय ! इतना सारा धन लेकर हम नदी को पार नहीं कर सकते | पहले मैं इस धन को नदी के पार ले जाकर किसी सुरक्षित स्थान पर रख देता हूँ फिर तुम्हे भी नदी पार करवा दूंगा |”

किसान की पत्नी पहले ही ठग की बातों में आ गई थी इस बार भी उसने बिना सोचे समझे ठग को धन की गठरी दे दी और वहीँ बैठकर उसके आने का इन्तजार करने लगी | बहुत अधिक समय बीत गया परन्तु ठग नहीं लौटा | अब किसान की पत्नी को सारा माजरा समझ में आ गया और अपना सब कुछ लुट जाने के दुःख से नदी किनारे बैठकर रोने लगी |

उसी समय एक गीदड़ी मुंह में मांस का टुकड़ा लेकर स्त्री के सामने से गुजरी | गीदड़ी को नदी में एक बड़ी सी मछली दिखाई दी | गीदड़ी ने मछली पकड़ने के लिए उस पर झपट्टा मारा | मछली उछलकर दूर चली गई और गीदड़ी के मुंह में रखा मांस का टुकड़ा नदी में गिर गया और तेज धार में वह गया |

यह देखकर किसान की पत्नी गीदड़ी से बोली – “ अरी ! तू तो अपनी मूर्खता के कारण मांस के टुकड़े और मछली दोनों से हाँथ धो बैठी |”

किसान की पत्नी की बात सुनकर गीदड़ी ने जवाब दिया – “ अरी मूर्ख ! तू तो मुझसे भी ज्यादा वेवकूफ है जो अपने प्रेमी के लिए अपने पति को छोड़कर आ गई और वो तेरी धन दौलत लेकर तुझे छोड़ कर चला गया | तू तो घर की रही ना घाट की |”

शिक्षा – इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी छोटी-मोटी बातों को लेकर अपनों को धोखा नहीं देना चाहिए अन्यथा कहीं के नहीं रहते |

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