Do Sir Wala Pakshi |दो मुंह वाला पक्षी - पंचतंत्र कहानी
दो मुंह वाला पक्षी

दो मुंह वाला पक्षी - पंचतंत्र कहानी | Do Munh  Wala Pakshi -

बहुत समय पहले की बात है एक तालाब था उस तालाब में एक पक्षी रहता था उसका नाम मारूच था | पक्षी बहुत ही अजीब सा था | उस पक्षी के दो मुंह थे किन्तु उसका धड़ एक ही था | वह अपने दोनों सिर से देख  और खाना खा सकता था  | सभी को इस पक्षी को देखकर बड़ा आश्चर्य होता था |

एक दिन वह खाने की तलाश में घूम रहा था कि उसे एक फल मिला | मारूच ने पहले  कभी वह फल नहीं खाया था | उसे बहुत जोरों की भूख लगी थी | पक्षी के एक मुख ने फल को चख कर देखा | फल उसे बहुत स्वादिष्ट लगा |  फल खाने वाले मुख ने दूसरे मुख को बतलाया फल तो अमृत के समान बहुत ही स्वादिष्ट है | मैंने आज तक अपनी जिन्दगी में ऐसा फल नहीं खाया |”

फल की प्रशंसा सुन कर मारूच के दूसरे मुख से रहा नहीं गया और वह बोला – “ अगर फल इतना स्वादिष्ट है तो थोडा सा मुझे भी चखाओ | इस फल की प्रशंसा सुन कर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, मैं भी इस फल को चखना चाहता हूँ |”

पहला मुख दूसरे का उपहास करते हुए बोला – “ अरे भाई ! तुम इसे चखकर क्या करोगे | हम दोनों का पेट तो एक ही है मेरे खाने के बाद आखिर यह फल अपने पेट में ही जायेगा और इससे तुम्हें भी तृप्ति हो जाएगी |’’

पहले मुख ने दूसरे मुख के फल मांगने पर भी उसे फल नहीं दिया और स्वयं ही पूरा फल खा गया | दूसरा मुख इस घटना से बहुत नाराज और दुखी हुआ और इसे अपना अपमान समझकर किसी भी तरह पहले मुख से बदला लेना चाहता था |

एक बार मारूच खाने की तलाश में कहीं घूम रहा था तभी उसे एक अत्यन्त जहरीला फल मिला | दूसरा मुख अपने अपमान का बदला लेना चाहता था | उस जहरीले फल को अपनों चोंच में पकड़कर वह पहले मुख से बोला- “ उस दिन तुम्हें वह स्वादिष्ट फल मिला था और तुमने मुझे नहीं दिया था | आज मुझे यह जहरील फल मिला है और मैं इसे खा कर अपने अपमान का बदला लूँगा |”

पहला मुख इस बात से डर गया और बोला –“ पागल मत बनो ? ऐसा मत करो | अगर इस फल को खाओगे मेरे सांथ-सांथ तुम भी नहीं बचोगे |’’

दूसरे मुख को पहले मुख की बातों का कोई असर नहीं हुआ और उसने अपने अपमान का बदला लेने के लिए वह जहरीला फल खा लिया | फल खाने के कुछ देर बाद वह दो मुहं वाला पक्षी मार गया |

शिक्षा – “ दो सिर वाला पक्षी  कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि छोटी-छोटी बातों पर कभी भी अपने ख़ास लोगों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और हर कार्य मिलजुल कर करना चाहिए |”