सन्त और बुढ़िया की कहानी | Sant Aur Budhiya ki Hindi Kahani -
एक जाने-माने सन्त थे | समाज में उनका बहुत ही ज्यादा सम्मान था |वो अक्सर मंदिर जाया करते थे | मंदिर के रास्ते में एक बुढ़िया रहती थी | उस बुढ़िया के परिवार में कोई नहीं था | संत जब भी उस रास्ते से मंदिर जाते तो बुढ़िया हमेसा उन्हें बहुत बुरा-भला कहती थी | संत उसकी बातों को नज़र अंदाज कर देते थे और अपने रास्ते चले जाते थे | लोग अक्सर संत से कहते आप इस बुढ़िया की बातों को अनसुना क्यूँ कर देते हैं | आप बुढ़िया से कुछ कहते क्यूँ नहीं हैं ? अगर आप कुछ कहना नहीं चाहते तो दूसरे रास्ते से क्यूँ नहीं आ जाते ? सन्त लोगों की बातें सुनकर मुस्कुरा दिया करते थे |एक दिन सन्त जब मंदिर के रास्ते जा रहे थे तब उन्हें बुढ़िया दिखलाई नहीं दी ना ही उसकी गालियाँ सुनाई दीं | उस दिन सन्त चुपचाप चले गये | दूसरे दिन सन्त पुनः मंदिर गए परन्तु इस दिन भी ना तो बुढ़िया की आवाज आई ना ही बुढिया दिखलाई दी | अब सन्त से रहा नहीं गया उन्होंने तुरन्त ही घर का दरवाजा खतखटाया अन्दर से किसी के कराहने की आवाज आई | कुछ देर बाद उसी बुढ़िया ने दरवाजा खोला | सन्त ने देखा बुढ़िया बहुत बीमार है और उससे चलते नहीं बन रहा है | सन्त तुरंत वैद्य के पास गये और उसे लेकर बुढ़िया के घर आ गये | बैध ने बुढ़िया को कुछ जड़ी-बूटियां दी और आराम करने की सलाह दी |
जब तक बुढिया की तबियत ठीक नहीं हुई सन्त प्रतिदिन बुढ़िया के घर आते और उसकी सेवा करते | गाँव वाले यह देख कर सन्त से कहते यह बुढ़िया तो रोज आपको गाली देती थे और आप इसकी प्रितिदिन सेवा कर रहे हैं | सन्त ने उत्तर दिया यह बुढ़िया बुजुर्ग है और मेरी माता जी की उम्र है इसी लिये मैं इनकी किसी बात का बुरा नहीं मानता |आज यह अकेली है और इसे किसी की सहायता की आवश्यकता है इसिलये मुझ से जो बन पड़ रहा है मैं कर रहा हूँ |सन्त का उत्तर सुनकर गाँव वाले निरुत्तर रहा गये |
धीरे धीरे बुढ़िया स्वस्थ हो गई और जब संत उसके पास आये तो उसने माफ़ी मांगते हुये अपने किये पर खेद व्यक्त किया | सन्त ने बुढ़िया को वही उत्तर दिया जो गाँव वालों को दिया था | बुढ़िया की आँखों में आंसू थे |
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