gahda aur siyar ki kahani
Hindi kahani


गधा और सियार की कहानी | Gadha aur Siyar ki kahani

एक गाँव में एक धोबी रहता था उसके पास एक गधा था | धोबी गधे के ऊपर कभी कपड़े लादकर धोने के लिए नदी ले जाता और कभी अन्य सामान लादकर बाजार या दूसरे गाँव ले जाता | इस तरह धोबी दिन भर गधे से काम लेता था और रात को खुला छोड़ देता था | गधा रात भर इधर –उधर खेतों में चरता था और सुबह घर वापस आ जाता था | एक बार  खेत में चरते –चरते एक सियार से उसकी दोस्ती हो गई | उसके बाद दोनों एक साथ रहने लगे सियार गधे को मामा कहने लगा | एक दिन वे दोनों  एक ककड़ी के खेत में जा पहुंचे और दोनों ने जी भरकर खूब ककड़ी खाई ,पेट भर जाने से गधा अति प्रसन्न हुआ |गधा  सियार से बोला-“ भांजे देखो कितनी सुन्दर चांदनी रात है | “

सियार बोला-“ हाँ मामा सो तो है | “

 गधा बोला – “ भांजे मेरा मन कर रहा है कि आज  जी भर के गाना गाऊं ,कौन सा गाऊं तुम ही बताओ | “

यह सुनकर सियार ने उसे समझाया – “ मामा हम दोनों चोरी के काम में लगे हैं ,भलाई इसी में है कि चुपचाप अपना काम करें और अपने-अपने घर जाएँ वरना पकडे जाने का डर  है  और फिर तुम्हारे गले में सुरीलापन भी तो नहीं है तुम्हारी जोरदार आबाज सुनकर  खेत वाला दोनों की  मरम्मत कर देगा | “

गधे को सियार की यह बात अच्छी नहीं लगी कि उसके गले में सुरीलापन नहीं है ,वह बोला – “ भांजे तुम ठहरे जंगली तुम क्या जानो गाना और संगीत क्या होता है |”

सियार बोला – “ मामा तुम कुछ भी कहो तुम्हारा गला सही नहीं है तुम सिर्फ रेंकना भर जानते हो |”

 गधे ने कहा – “ मूर्ख तू क्या जाने सुन में तुझे गाकर सुनाता हूँ |

गधा गाने को तैयार हुआ ही था कि सियार ने कहा – “ एक मिनट रुकना मामा में इधर पास जाकर देखता हूँ कि कोई आ न जाए फिर तुम जी भरके गाना गाना |’’

सियार पास जाकर बैठ गया फिर गधे ने अपना राग अलापना शुरू कर दिया ढेंचू-ढेंचू ,ढेंचू-ढेंचू | यह आबाज सुनकर खेत का मालिक जिसका घर खेत के पास ही था अत्यंत क्रोध में लाठी लेकर दौड़ता हुआ आया और गधे को मार-मारकर अधमरा कर दिया | यह देखकर सियार दुम  दबाकर जंगल  की ओर  भाग गया और पछताने लगा कि गधे की संगत में आज मैं भी बड़ी मुसीबत में फंस जाता |उधर  गधा भी  धीरे-धीरे कराहते हुए अपने घर चला गया ,गधे की ऐसी हालत देखकर धोबी सब समझ गया , फिर उसने  गधे को दोबारा खुला नहीं छोड़ा |

सारांश ;- गधा और सियार की कहानी से शिक्षा मिलती है कि मूर्ख की संगत कभी न कभी अपनी मुसीबत का कारण बन जाती  है |