jiski lathi uski bhains - muhavara, kahavat  lokokti
Jiski Lathi Uski Bhains

जिसकी लाठी उसकी भैंस | Jsaki Lathi Uski Bhains -

जिसकी लाठी उसकी भैंस एक बहुत ही प्रसिद्ध लोकोक्ति (मुहावरा) है | हिंदी बोलने वाला हर व्यक्ति इस मुहावरे का प्रयोग अक्सर करते है |

जिसकी लाठी उसकी भैंस लोकोक्ति /मुहावरे/कहावत  का अर्थ -

जिसकी लाठी उसकी भैंस लोकोक्ति /मुहावरे का अर्थ होता हैहोता है शक्तिशाली की विजय होती है अर्थात शक्तिशाली व्यक्ति जो पाना चाहता है वह ले लेता है |

जिसकी लाठी उसकी भैंस लोकोक्ति (मुहावरे) से जुडी एक कहानी भी है जो इस प्रकार है -

जिसकी लाठी उसकी भैंस कहानी | Jiski Lathi Usaki Bhains Kahani -

एक ग्वाला था उसका नाम रामदीन था, रामदीन के पास कुछ गायें थीं | रामदीन प्रतिदिन गाय का दूध लेकर शहर जाता और उसे बेंच कर अपनी आजीविका चलाता था | शहर में दूध की मांग बहुत अधिक होने के कारण रामदीन का दूध ख़त्म हो जाता था और ग्राहकों को खाली हाँथ जाना पड़ता था | रामदीन ने सोचा कि मांग अधिक होने से दूध कम पड रहा है क्यूँ ना एक भैंस खरीद ली जाये | भैंस लेने से दूध की कमी भी नहीं होगी और आमदनी भी बढ़ जाएगी |

यह सब विचार कर रामदीन एक दिन बाजार गया और वहां उसने कुछ भैसें देखी | रामदीन को उनमें से एक भैंस पसंद आई और रामदीन ने भैंस के पैसे दिए खुशी-खुशी अपने घर आ रहा था | रास्ते में उसे जंगल मिला | जब रामदीन जंगल से गुजर रहा था तभी अचानक एक व्यक्ति रामदीन का रास्ता रोक लेता है | उस व्यक्ति के हाँथ में एक बड़ी सी लाठी थी | वह व्यक्ति रामदीन से कहता है - "  दूधवाले ! ये भैंस मुझे दे दो नहीं तो इस लाठी से मार-मारकर तेरे हाँथ पैर तोड़ दूंगा |"

रामदीन भी शारीरिक रूप से उस लुटेरे के समान ही बलवान था परन्तु लुटेरे के हाँथ में लाठी थी और रामदीन उस लाठी के कारण डर गया और चुपचाप अपनी भैंस लुटेरे को सोंप दी | अपनी लाठी के दम पर भैंस लेकर लुटेरा बहुत खुश हुआ और बोला - " अरे दूधवाले ! तुमने तो बहुत ही आसानी से मुझे अपनी भेंस दे दी | मुझे लगा कि तुम इतने हट्टे कट्टे हो और तुम मुझसे लड़ाई करोगे , तुम तो बड़े मूर्ख निकले |"

रामदीन बोला - " भाई , मुझे अपनी हड्डियाँ नहीं तुडवानी , इसीलिए मैंने अपनी भैंस आपको दे दी है | लेकिन अब मैं खाली हाँथ घर जाऊंगा तो मेरी बीबी मुझसे झगडा करेगी , कृपा कर आप मुझे भैंस के बदले कुछ और दे दो ताकि मैं उसे अपने घर में दिखला सकूँ |"
लुटेरा बोला - " मेरे पास कुछ नहीं है जो मैं तुम्हे दे दूँ |"
रामदीन बोला - " ठीक है तो आप ये लाठी ही मुझे दे दो , इसमें आप का भी कुछ नहीं जायेगा लेकिन इसे पाकर मैं और मेरी बीबी भी खुश हो जायेंगें |"
लुटेरा सोचने लगा - " ये दूधवाला वाकई में मूर्ख है जो भैंस के बदले लाठी मांग रहा है , अच्छा है इसे लाठी दे देता हूँ तो ये मेरा पीछा भी नहीं करेगा |" इतना सोचकर लुटेरे ने खुशी-खुशी अपनी लाठी दूधवाले को दे दी |
जैसे ही लाठी दूधवाले के हाँथ में आई वह लुटेरे को लाठी दिखलाते हुए कड़क आवाज में बोला - " मेरी भैंस मुझे लौटा दे नहीं तो मार-मार कर तेरी हड्डियों का कचूमर बना दूंगा |"
अब डरने की बारी लुटेरे कि थी | रामदीन के हाँथ में लाठी देकर वह बुरी तरह डर गया और रामदीन को उसने भैंस लौटा दी और रामदीन से बोला - " भाई ! मैंने आपकी भैंस लौटा दी अब आप मेरी लाठी लौटा दो |"
रामदीन बोला- " चल भाग यहाँ से , अब मैं तुझे तेरी लाठी भी नहीं दूंगा क्यूंकि जिसकी लाठी उसकी भैंस |"

लुटेरा डर के कारण वहां से भाग गया और रामदीन खुशी-खुशी अपनी भैंस लेकर घर आ गया | तभी से जिसकी लाठी उसकी भैंस (Jisaki Lathi Uski Bhains muhavra)  कहावत प्रचलित हो गई |

जिसकी लाठी उसकी भैंस कहानी | जिसकी लाठी उसकी भैंस कहावत ]
Jiski Lathi Uski Bhains Kahani | Jiski Lathi Uski Bhains Kahani muhavra