Kanjush Makkhichoosh kahavat kahani
Kanjus Makkhichoos

कंजूस मक्खी चूस कहावत | Kanjush Mkkhi choos kahavat  -
 कंजूस मक्खीचूस एक बहुत ही प्रसिद्ध मुहावरा और कहावत है | इस मुहावरे का प्रयोग हिंदी भाषा में बहुत अधिक होता है | आइये जानते हैं इससे जुडी कुछ रोचत बातें -

कंजूस मक्खी चूस कहावत का अर्थ -

कंजूस मक्खी चूस कहावत का अर्थ होता है - अत्यधिक कंजूस व्यक्ति

कंजूस मक्खी चूस कहावत उस व्यक्ति के सन्दर्भ में कही जाती है जो बहुत ही ज्यादा कंजूस होता है |

कंजूस मक्खी चूस कहानी | Kanjush Makkhichoosh Kahani - 


कंजूस मक्खी चूस कहावत को हर हिंदी भाषी अपने दैनिक जीवन में उपयोग करता है | हर कहावत किसी ना किसी घटना से जुडी होती है | इसी तरह कंजूस मक्खी चूस कहावत से जुडी एक कहानी है | एक गाँव में एक व्यापारी रहता था वह बहुत ही कंजूस था | वह ना किसी के घर जाता था ना ही किसी को अपने घर बुलाता क्यूंकि मेहमानो की खातिरदारी में पैसा खर्च होता था | वह अपने घर में सिले कपडे ही पहनता था ताकि बाजार से कपडे खरीदने में ज्यादा पैसा खर्च न करना पड़े | वह जब भी दुकान जाता अपने जूते हाँथ में रख लेता था जिससे जूते घिसे नहीं और ज्यादा दिन चलें | कंजूस व्यापारी के घर में दिन में जो खाना बनता था उसी को रात में भी खा लेलेता और जो बचता उसे दूसरे दिन भी उसे खा लेता था | कंजूस व्यापारी अपने दैनिक जीवन में काम आने वाली जरुरत की चीजों में भी कंजूसी करता था जिससे उसके बच्चे और पत्नी भी बहुत परेशान रहते थे |

एक दिन की बात है वह घर में खाना खा रहा था और उसकी पत्नी ने उसे एक कटोरी में खाने के लिए घी दिया | खाना खाते समय अचानक उसके घी में एक मक्खी गिर गई | उसकी पत्नी ने घी में गिरी मक्खी देख ली और उस कटोरी में में रखे घी को फेंकने जाने लगी तभी व्यापारी ने उसे रोका और कहा –“ अरे घी में मक्खी गिरी है तो पूरा घी फेंककर इतना नुक्सान क्यूँ कर रही हो , इस मक्खी को ही घी से निकाल कर फेंक देते हैं |”
Kanjush Makkhichoosh kahavat kahani
Kanjush Makkhichoosh 


उसकी पत्नी राजी हो गई और कटोरी से मक्खी निकालने लगी तभी व्यापारी ने उसे रोक कर कहा – “ तुम अन्दर जाओ , मक्खी को मै निकाल दूंगा | “

जैसे ही उसकी पत्नी अन्दर गई व्यापारी ने घी से मक्खी निकाली मक्खी को चूसने लगा और तब तक चूसता रहा जब तक मक्खी के शरीर से पूरा घी नहीं निकल गया | मक्खी के शरीर से घी निकलने के बाद उसने मक्खी को फेंक दिया |

पास से ही एक व्यक्ति व्यापारी की इस हरकत को देख रहा था और उसने गाँव के सारे लोगों को यह बात बतला दी गाँव के लोगों ने उसका नाम “कंजूस मक्खी चूस “ रख दिया और तभी से कंजूस मक्खी चूस कहावत प्रचलित हो गई |

शिक्षा- " कंजूस मक्खीचूस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें  दैनिक जीवन में बहुत अधिक कंजूसी नहीं करना चाहिए ऐसा करने से हम लोगों की हंसी का पात्र भी बन सकते हैं | "