Hathi aur Lomdi ki kahani, The Fox and Elephant story
The Fox and Elephant story

चालाक लोमड़ी और हाथी की कहानी | The Fox and Elephant story -

घने जंगल में एक बहुत बड़ा हाथी रहता था । वह स्वभाव से क्रूर और अहंकारी था । वह जंगल में खुलेआम घूमता था और छोटे पेड़ों और शाखाओं को तोड़ देता था । जो जानवर पेड़ों में रहते थे वे इस हाथी से बहुत डरते थे । एक दिन हाथी ने गुस्से मे कुछ पेड़ों को गिरा दिया जिससे उन पेड़ो पर रहने वाले पक्षियों के अन्डे और घोंसले जमीन पर गिरकर नष्ट हो गए । जंगल में हाथी ने चौतरफा तबाही मचा रखी थी | हाथी के डर से बाघ और शेर भी सुरक्षित दूरी बना रखी थी । जंगल में उसकी मदमस्त चाल ने कई लोमड़ियों के घर रोंद दिए जिससे लोमड़ियों में भी हाथी के खिलाफ बहुत असंतोष था | जंगल के सभी जानवर हाथी को मरना चाहते थे लेकिन उनके विशाल आकार के कारण यह कार्य बहुत कठिन था।

फिर सभी लोमड़ियों की एक बैठक बुलाई गई। बैठक में यह असंभव कार्य करने का जिम्मा एक बहुत ही चालाक लोमड़ी को सौंपा गया था। लोमड़ी ने अपनी योजना को अंजाम देने से पहले कई दिनों तक हाथी के व्यवहार का अध्ययन किया।

एक दिन, लोमड़ी हाथी से मिलने गई और उससे कहा, "महाराज। आपसे बात करना जरूरी है। यह हमारे लिए जीवन और मृत्यु का मामला है।"

हाथी ने अपने सबसे ऊंचे स्वर में सूँड उठाई और पूछा- "तुम कौन हो और मुझसे क्या चाहते हो?"

लोमड़ी ने कहा- " मैं इस जंगल के पूरे पशु समुदाय का प्रतिनिधि हूं । हम आपको अपना सर्वोच्च मुखिया - राजा बनाना चाहते हैं । कृपया हमारे प्रस्ताव को स्वीकार करें।"

हाथी ने बड़े गर्व से अपनी सूंड उठाई और विवरण मांगा ।


Chalak Lomdi aur Hathi ki kahani, The Fox and Elephant story in hindi
Chalak Lomdi aur Hathi ki kahani


लोमड़ी ने आगे समझाया- "मैं आपको अपने साथ लेने आई हूं । राज्याभिषेक समारोह जंगल के बीच में होगा, जहां हजारों जानवर पहले ही इकट्ठा हो चुके हैं और पवित्र मंत्रों का जाप कर रहे हैं।"

यह सुनकर हाथी बहुत खुश हुआ । उसने हमेशा राजा बनने का सपना संजोया था । उन्होंने सोचा कि राज्याभिषेक समारोह उसके लिए गर्व की बात होगी । उसने लोमड़ी के साथ जंगल में जाने के लिए खुद को तैयार किया।

लोमड़ी ने कहा- " "आओ, महामहिम ! मेरे सांथ आओ।"

लोमड़ी हाथी को समारोह के लिए एक काल्पनिक स्थान पर ले गई । रास्ते में उन्हें एक तालाब के किनारे दलदली इलाके से गुजरना पड़ा । लोमड़ी हल्के शरीर वाली होने के कारण बिना किसी कठिनाई के छोटे से दलदली क्षेत्र को पार कर गई । हाथी भी उस पर चला, लेकिन भारी होने के कारण वह दलदल में फंस गया । उसने जितना अधिक दलदल से बाहर निकलने की कोशिश की, वह उतना ही गहराई में चला गया । वह डर गया और लोमड़ी को पुकारा- "प्रिय मित्र । कृपया मेरी मदद करें। मैं कीचड़ में डूब रहा हूं। अब मेरे राज्याभिषेक का क्या होगा। अपने अन्य दोस्तों को भी मेरी मदद करने के लिए बुलाओ।"

लोमड़ी ने कहा - "मैं तुम्हें बचाने नहीं जा रहा हूँ, तुम इसी योग्य थे। तुम जानते हो तुम अन्य जानवरों के साथ कितने क्रूर रहे हैं। तुमने पेड़ों की शाखाओं को निर्दयता से नीचे खींच लिया जिससे पक्षियों के अंडे फूट गए । तुमने लोमड़ियों के बिलों पर रौंदा गया।तुमने देखा कि हमारे भाई-बहन तुम्हारे भारी पैरों के नीचे दबे हुए हैं। तुमने हमें रोते हुए, दया की भीख मांगते हुए देखा; लेकिन इससे आप को कोई फर्क नहीं पड़ा और अब तुम अपने जीवन के लिए भीख माँग रहे हैं? मुझे आपको यह बताते हुए खेद है कि यद्यपि तुम्हारा राज्याभिषेक नहीं हो सका |" और लोमड़ी चली गई।

हाथी दलदल से बाहर नहीं निकल पाया और वहीं मर गया।
 

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Hathi aur Lomdi ki kahani 


शिक्षा - "हाथी और लोमड़ी की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपनी ताकत के घमण्ड में दूसरे जीवों को परेशान नहीं करना चाहिए |"