Bhagvan jo bhi karte hain acche ke liye karte hain

 भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए करते हैं | Bhagvan jo bhi karte hain acche ke liye karte hain -


बहुत पुरानी बात है एक राजा था राजा बहुत ही गुस्सैल स्वभाव का था । राजा का एक मंत्री था वह बहुत ही ज्ञानी और चतुर था । राजा जब भी कहीं बाहर जाता मंत्री हमेशा उसके साथ ही रहता था । मंत्री अक्सर एक ही बात कहता था - " भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए करते हैं। "

एक दिन की बात है राजा कुछ कार्य कर रह था तभी राजा की उंगली में कुछ लग जाने से राजा की उंगली कट गई । राजा को बहुत दर्द हो रहा था पास में मंत्री जी भी खड़े हुए थे तभी मंत्री जी बोले राजन चिंता ना करिए सब ठीक हो जायेगा । भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए ही करते हैं। "

राजा की उंगली में बहुत तेज दर्द हो रहा था और मंत्री की इस तरह की बात को सुनकर राजा आग बबूला हो गया और मंत्री को जेल में डालने का आदेश दे दिया । राजा का आदेश पाकर सैनिकों ने मंत्री जी को पकड़ लिया । राजा ने मंत्री से पूछा - " मंत्री जी ! अब आप जेल जा रहे हो क्या अब भी आप यही कहोगे " भगवान जो भी करते है अच्छे के लिए करते हैं | "

मंत्री जी जेल जाते-जाते भी बोले - " भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए ही करते हैं।"

कुछ दिनों बाद एक दिन राजा शिकार खेलने जंगल गया तभी एक हिरण का पीछा करते- करते राजा अपने सैनिकों से बिछड़ गया और जंगल में काफी अंदर चला गया। जंगल के अंदर एक आदिवासी कबीले के लोगों ने राजा को पकड़ लिया और उसकी बलि देने के लिए कबीले के मुखिया के पास ले गए।

कबीले के मुखिया ने राजा को बलि के लिए तैयार करके लाने के लिए कहा | कबीले के लोगों ने राजा को नहला धुला कर बलि के लिए तैयार किया और बलि वाले स्थान पर ले गए। राजा बहुत घबराया हुआ था क्योंकि वह बिल्कुल अकेला ही था और उसके सैनिकों उससे बिछड़ चुके थे । अब उसकी सहायता करने वाला यहां कोई नहीं था। उसे सिर्फ और सिर्फ भगवान पर भरोसा था।

जैसे ही राजा की बलि दी जाने वाली थी तभी कबीले का मुखिया बलि को रोकते हुए कहा - " इस व्यक्ति की वली नहीं दी जा सकती क्योंकि इसकी एक उंगली कटी हुई है और और खंडित व्यक्ति की बलि नहीं दी जाती।"

कबीले के लोगों ने राजा को छोड़ दिया । राजा को समझ आ गया कि ईश्वर जो करता है वह अच्छे के लिए ही करता है अगर उस दिन राजा की उंगली नहीं कटी होती तो आज उसकी बलि दे दी जाती। जंगल से निकलकर राजा किसी तरह अपने महल में पहुंचता है और मंत्री को बुलाकर पूछता है - " मंत्री जी ! अब मैं भी यह मानने लगा हूं कि " ईश्वर जो करते हैं अच्छे के लिए करते हैं" किंतु मैंने आपको इस महल से निकाल कर जेल भेज दिया तो इसमें आपके लिए क्या अच्छा हुआ। "

मंत्री कहता है - ' हे राजन ! जिस प्रकार भगवान ने आपकी उंगली काट कर आपको बलि से बचा लिया उसी प्रकार मुझे जेल भेजकर मेरे प्राण बचा लिए।"

राजा पूछता है - " भला वह कैसे ? "

मंत्री राजा को उत्तर देता है - " हे राजन ! मै हमेशा आपके सांथ रहता था, अगर आप मुझे महल से नहीं निकालते और जेल ना भेजते तो मैं भी आपके साथ शिकार के लिए जाता और कबीले के लोग अवश्य ही मेरी बलि दे देते क्योंकि मेरा कोई भी अंग खंडित नहीं है। इस प्रकार भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए ही करते हैं। "