raja aur lalchi mantri ki kahani
राजा और लालची मंत्री की कहानी 

राजा और लालची मंत्री की कहानी | Raja aur Lalachi Mantri ki Kahani -


बहुत पुरानी बात है दक्षिण भारत में एक राजा राज्य करता था। राजा का राज्य समुद्र के किनारे था। राजा को भोजन के सांथ मछलियां खाने का बहुत शौक था। बिना मछलियों के राजा का भोजन अधूरा रहता था ।

एक बार की बात है राजा के राज्य में बहुत तेज तूफान आया जिसके कारण कोई भी मछुआरा मछली पकड़ने के लिए समुद्र में नहीं जा सका। उस दिन राजा को भोजन में मछलियां नहीं मिली जिससे राजा बहुत उदास हो गया। राजा ने जब अपने मंत्रियों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बतलाया कि इतने तेज तूफान में समुद्र में मछली पकड़ने जाना अपनी जान पर खेलने के समान है इसलिए कोई भी मछुआरा समुद्र नहीं जा रहा है।

राजा ने घोषणा करवाई की जो भी समुद्र से ताजी मछलियां लाएगा उसे मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा। राजा की घोषणा सुनकर मछुआरों के मन में लालच तो आया किंतु कोई भी मछुआरा अपनी जान जोखिम में डालने के लिए तैयार नहीं हुआ।

उसी राज्य में एक बहुत ही गरीब मछुआरा रहता था उसे जब राजा की इस घोषणा का पता चला तो अपनी दरिद्रता दूर करने के लिए वह अपनी जान की परवाह किए बगैर समुद्र में चला गया। समुद्र में उसने जाल फेंका जिसमें कई बड़ी-बड़ी मछलियां फंस गई। मछुआरा मछलियां लेकर राजा के महल पहुंच किंतु राजा के सैनिकों ने उसे महल में नहीं घुसने दिया।

राजा के एक खास मंत्री ने मछुआरे को ताजी मछलियों के सांथ देखा तो मछुआरे को अपने साथ राजा के पास ले जाने के लिए तैयार हो गया । मंत्री जानता था कि राजा मछलियां देखकर बहुत अधिक प्रसन्न होगा और इसके बदले मछुआरे को बहुत सारा धन देगा इसलिए उसने मछुआरे के समक्ष एक शर्त रखी की जो भी इनाम मिलेगा उसका आधा हिस्सा मंत्री अपने पास रखेगा। मछुआरा मंत्री की बात मान गया और मंत्री मछुआरे को लेकर राजा के पास पहुंचा।

मछुआरे के पास ताजी-ताजी मछलियां देख राजा बहुत खुश हुआ। राजा ने मछुआरे को मुंह मांगा इनाम मांगने के लिए कहा। मछुआरा राजा से हाथ जोड़कर बोला- " महाराज ! मुझे बीस कोड़े मारे जाएं। मछुआरे की बात सुनकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ और उसने फिर से मछुआरे से कुछ मांगने के लिए कहा किंतु मछुआरे ने फिर 20 कोड़े खाने का इनाम माँगा ।

राजा ने अपने सैनिकों को बुलाया और मछुआरे को 20 कोड़े मारने का आदेश दिया। सैनिकों ने मछुआरे को कोड़े मारना शुरू किया। 10 कोड़े खाने के बाद मछुआरा राजा से बोला- " महाराज ! मुझे आप जो भी इनाम देंगे उसका आधा हिस्सा मुझे मेरे हिस्सेदार को देना पड़ेगा इसलिए बाकी के दस कोड़े मेरे हिस्सेदारी को दे दिए जाएं।"

मछुआरे की बात सुनकर राजा को फिर आश्चर्य हुआ और राजा ने उसके हिस्सेदार का नाम पूछा। मछुआरा मंत्री की तरफ इशारा करते हुए बोला -" महाराज ! यही मेरे हिस्सेदार हैं। इन्होंने ही मुझे आपके पास लाने के बदले प्राप्त ईनाम का आधा हिस्सा मांगा है।"

राजा ने मंत्री की ओर देखा तो मंत्री ने शर्म से अपना सर झुका लिया। राजा ने आदेश दिया कि बाकी की दस कोड़े मछुआरे के हिस्सेदार को मारे जाएं। सैनिकों ने राजा के आदेश पर मंत्री को दस कोड़े मारे। राजा ने मंत्री को उसके लालच के कारण अपने मंत्री पद से हटकर राज्य से बाहर कर दिया और मछुआरे को बहुत सारा इनाम देकर विदा किया।

शिक्षा- राजा और लालची मंत्री की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि लालच में आकर कभी भी किसी को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं करना चाहिए।