jivan anmol hai hindi kahani

जीवन अनमोल है -हिंदी कहानी  | Life is precious  -

बहुत पुरानी बात है एक व्यक्ति था  उसका नाम दीन दयाल था | उसके परिवार में उसका पुत्र, पुत्री , पत्नी और माता, पिता रहते थे | वह सुख पूर्वक अपना जीवन यापन कर रहा था | उसकी आय ज्यादा  नहीं थी अब उसके बच्चे भी बड़े हो रहे थे | बच्चों के बड़े होने से उसके खर्चे भी बढ़ रहे थे | दीन दयाल घर में अकेला कमाने वाला व्यक्ति था | वह घर के खर्चों की पूर्ति ठीक तरीके से नहीं कर पा रहा था इसी कारण उसने साहूकारों से व्याज पर पैसे लेना शुरू  कर दिया | शुरू -शुरू में तो वह सहकरसाहूकार के  पैसे समय पर लौटा देता था परन्तु बाद में उसे पैसे चुकाने में दिक्कत  होने लगी | अब उसके परिवार में भी कलह और विवाद होने लगे |
उसने परिवार में संतुलन बनाने का बहुत प्रयत्न किया परन्तु वह सफल नहीं हो पा रहा था | कर्ज और रोज-रोज के पारिवारिक विवादों से वह बहुत परेशान हो गया और एक दिन उसने आत्महत्या करने की सोची | लेकिन यह निर्णय इतना आसन नहीं था | दीन दयाल घर का मुखिया था  और परिवार का भविष्य उस  पर निर्भर था | अब  उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये ?
दीन दयाल  घर के पास ही एक ऋषि का आश्रम था | वह सही मार्गदर्शन के लिये ऋषि के आश्रम पहुँच गया और महर्षि को प्रणाम कर अपने आने का कारण बतलाया | महर्षि आपने काम में व्यस्त थे और उन्होंने दीन दयाल की बातों का कोई उत्तर नहीं दिया | वे बड़ी मेहनत और तल्लीनता से आश्रम वासियों के लिये भोजन के लिये पत्तल बना रहे थे | अपनी बातों का उत्तर ना  पाकर और महर्षि की पत्तल बनाने में तल्लीनता देखकर दीन दयाल के मन में कई प्रश्न उठने लगे |
दीन दयाल ने हिम्मत कर महर्षि से से पूछ ही लिया - महर्षि ! आप इतनी लगन और मेहनत से ये पत्तलें बना रहे हैं परन्तु भोजन के बाद इन पत्तलों को कूड़े में फेंक दिया जायेगा |
महर्षि मुस्कुराते हुए बोले- वत्स ! तुम बिल्कुल सही कह रहे हो परन्तु किसी भी वस्तु को उपयोग करने के बाद फेंकना गलत नहीं है | गलत तो तब होगा जब उस वस्तु को उपयोग किये  बिना अच्छी अवस्था में फेंका जाये | इसी तरह हमारा शरीर भी है |
महर्षि की बात दीन दयाल को अच्छी तरह समझ में आ गई और उन्हें अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया कि जीवन अनमोल है  | दीन दयाल ने अब आत्म-हत्या  का विचार त्याग दिया | वह समझ गया कि विपरीत परिस्थितियों से हार मानना ठीक नहीं है उससे लड़कर ही सफलता पाई जा सकती है | अब वह  जीने के उत्साह से सरावोर हो गया कठिन मेहनत कर ना सिर्फ साहूकारों का कर्ज उतारा वल्कि अपनी संतानों को योग्य बनाकर अपने पैरों पर खड़ा किया |

शिक्षा-  जीवन अनमोल है कहानी से हमें शिक्षा मिलती है की विपरीत परिस्थियों से लड़ कर ही सफलता पाई जा सकती है |