bolne wala pedh hindi kahani , bure kam ka bura natija
Hindi Kahani

बोलता पेड़ कहानी - बुरे काम का बुरा नतीजा  | Talking tree - Hindi Story

       एक गाँव में दो मित्र रहते थे एक का नाम अच्छेराम और दूसरे का नाम बुरेराम था | अच्छेराम बुद्धिमान था और हमेशा अच्छे काम करता था जबकि बुरेराम उसके बिल्कुल बिपरीत था वह कभी किसी का भला नहीं चाहता था | एक बार दोनों धन कमाने के लिए किसी बड़े शहर गए | अच्छेराम की समझदारी से दोनों  ने खूब धन कमा लिया | लौटते समय जब वे गाँव के करीब पहुंचे तो बुरेराम  ने कहा –‘’ अच्छेराम इतना सारा धन घर ले जाना उचित नहीं लगता क्या पता कब बुरा समय आ जाए ,मुसीबत के दिनों  के लिए इसे कहीं गाड़ दें |”

 अच्छेराम को लगा कि उसका मित्र ठीक बोल रहा है तो उसने कहा –‘’ ठीक है, किन्तु थोड़ा धन घर भी ले चलेंगे | ‘’ फिर दोनों ने एक पेड़ के नीचे गड्ढा खोदकर उसमे बहुत सा धन गाड़ दिया और थोडा –थोडा धन घर ले गए |

 लालची बुरेराम  ने एक दिन आधी रात को जाकर गडा हुआ सारा धन निकाल लाया और अपने घर में छुपा लिया | कुछ दिनों के बाद बुरेराम अच्छेराम से बोला –‘’ भाई आजकल पैसों की तंगी चल रही है शायद आपको भी  पैसों की जरूरत होगी  चलो चलकर गडा हुआ धन में से थोडा बहुत धन निकाल  लाते हैं |”

 अच्छेराम को भी पैसों  कि आवश्यकता थी उसने कहा – “ ठीक है चलो चलते  हैं | “

दोनों ने उस जगह जाकर गड्ढा खोदा तो वहां कुछ भी नहीं मिला  ,क्योंकि बुरेराम ने उसे पहले ही निकाल लाया था | अब बुरेराम ने नाटक शुरू कर दिया और पैर पटकते हुए  अच्छेराम से बोला –“ तुमने मेरे साथ धोखा किया है हम दोनों के अलावा इस धन के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी तुमने ही इसे निकालकर ले गए हो, मुझे मेरे हिस्से का धन दे दो बरना मैं पुलिस को तुम्हारी रिपोर्ट करूगा | “

        अच्छेराम हैरानी से बुरेराम का मुंह ताकते रह गया ,फिर उसने बुरेराम को समझाने का प्रयास किया और कहा – “ देखो मित्र इसमें मेरा दोष नहीं है फिर भी जितना नुकसन तुम्हारा हुआ है उतना ही मेरा भी हुआ है तुम बेकार मुझ पर दोष लगा रहे हो |”

किन्तु बुरेराम कहाँ मानने वाला था वह बोला-“ अब तो पुलिस के सामने ही मुलाकात होगी और पैर  पटकता हुआ घर चला गया |”

बुरेराम ने अच्छेराम की पुलिस में रिपोर्ट कर दी तब अच्छेराम को थाना  बुलाया गया | दरोगा द्वारा  पूछे जाने पर उसने सारी बात सही-सही बता दी क्योंकि उसने कोई बेईमानी तो की नहीं थी बल्कि वह खुद बेईमानी का शिकार हो गया है | किन्तु बुरेराम ने बड़ी कुशलता से झूंठी कहानी गढ़ ली और बोला – “ उस धन के बारे में मेरे और अच्छेराम के अलावा और किसी को जानकारी नहीं थी इसलिए इसने ही सारा धन हड़प लिया है यही मेरे धन का चोर है |”

 दरोगा ने कहा – “ क्या तुम यह बात साबित कर सकते हो और क्या  तुम्हारे पास कोई सबूत ,गवाह है ? ”

 बुरेराम बोला – ‘’ साहब वन देवता को छोड़कर मेरा कोई गवाह नहीं है |

 दरोगा ने पूछा – “ तुम्हारे वन देवता कहाँ रहते  है ?’’  तो बुरेराम ने कहा –‘’वहीं  थोड़ी दूरी पर महुए के पेड़ में निवास करते हैं |’’

    अब दूसरे दिन पुलिस दोनों को लेकर उस  जगह पहुँची जहाँ उन्होंने धन गाड़ा था | उस स्थान का निरीक्षण किया गया वहीं पर महुए का पेड़ भी था , फिर बुरेराम को कहा गया कि तुम्हारे वन देवता कहाँ हैं उन्हें पुकारो , तो बुरेराम ने जोर-जोर से आबाज लगाईं कि वन  देवता –वन देवता आप कृपया बताएं कि हम दोनों में चोर कौन है | तब महुए के पेड़ से आबाज आई कि अच्छेराम चोर है | यह सुनकर पुलिस उसे ले जाती उससे पहले अच्छेराम ने दौड़कर महुए का पेड़ जिसमें  बहुत बड़ा होल था | उसमें घांस पूस ठूंसकर आग लगा दी ,एकाएक बचाओ –बचाओ की आबाज आई और एक बूढा आदमी उस पेड़ के खोखे से बाहर निकला वह आग से झुलस गया था, वह कोई और नहीं बल्कि  बुरेराम का पिता था | पुलिस ने उन दोनों पिता पुत्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया |

व्यर्थ की चतुराई ,लालच और बेईमानी से बुरेराम  तो जेल गया ही साथ ही उसके कर्मों से पिता को भी बुढ़ापे में जेल जाना पड़ा|

शिक्षा – “ बोलता पेड़ कहानी से हमें  यह शिक्षा मितली है कि बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है |”