Sone ka Anda Dene Wali Murgi,  Sone Ka Anda Aur Murgi
 Sone Ka Anda dene wali Murgi

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी | Murgi aur Sone ka Anda -

बहुत समय पहले की बात है एक गाँव था उस गाँव में एक गरीब नाई रहता था उसका नाम गुड्डा था | वह लोगों के बाल काटता था परन्तु इसे उसे ज्यादा कमाई नहीं होती थी | वह और उसकी पत्नी रुखी-सूखी रोटी खाकर अपना समय बिताते थे | एक दिन नाई की दुकान अच्छी चली और उस दिन उसे अच्छी आमदनी हुई उसने सोचा – “ आज मेरी अच्छी कमाई हुई है क्यूँ न इन पैसों से मुर्गी खरीद लूँ और मुर्गी के अंडे बाजार में बेचूंगा जिससे मेरी आमदनी भी थोडी बहुत बढ़ जाएगी |”

ऐसा सोचकर नाई शहर चला गया और मुर्गी खरीद कर ले आया | मुर्गी अभी छोटी थी और पहले उसने कभी अंडे नहीं दिए थे | अब नाई मुर्गी के अंडे देने का इन्तजार करने लगा | एक दिन उसने देखा मुर्गी अंडे दे रही है | गुड्डा नाई बहुत खुश हुआ उसे लगा अब इन अण्डों को ले जाकर बाजार में बेचूंगा और मुझे कुछ पैसे मिल जायेंगें जिससे बच्चों के लिए कुछ जरुरी सामान ले जाऊंगा |

मुर्गी के अंडे देने के बाद गुड्डा अंडे के पास गया उसने देखा अंडे का रंग सफ़ेद ना होकर सोने के रंग का है उसने अंडा उठाकर देखा तो वह दंग रह गया अंडा तो सोने का लग रहा था | नाई ने अपनी पत्नी को बुलाकर पूरी बतलाई | नाई की पत्नी भी बहुत खुश हुई | नाई की पत्नी ने सलाह दी कि वह शहर जाकर अंडे को बेंच दे | गुड्डा अंडा लेकर शहर गया और सुनार को अंडा दिखलाया | सुनार ने बतलाया अंडा तो सोने का ही है | नाई ने अंडा बेंच दिया जिससे उसे बहुत सारा पैसा मिला उन पैसों से नाई बहुत सा समान लेकर खुशी-खुशी घर आया | पैसे और सामान देखकर घर के सभी लोग बहुत खुश हुए |

मुर्गी फिर अंडा देने वाली थी गुड्डा और उसकी पत्नी बहुत उत्सुक थे कि क्या मुर्गी फिर सोने का अंडा देगी | मुर्गी ने इस बार भी सोने का अंडा दिया | नाई और उसकी पत्नी फिर बहुत खुश हुए और उन्होंने फिर से शहर जाकर अंडा बेंच दिया |

अब मुर्गी प्रतिदिन सवेरे सोने का एक अंडा देती थी | गुड्डा अब बहुत अमीर आदमी बन गया था | एक दिन उसके के मन में लालच आया - “यह मुर्गी तो रोज सोने का अंडा देती है इसके पेट में तो बहुत सारे सोने के अंडे होंगें | अगर इसके पेट से सारे अंडे एक सांथ निकाल लूँ तो मैं जल्दी से बहुत अमीर बन जाऊंगा |” गुड्डा ने यह बात उसकी पत्नी को बतलाई | गुड्डा की पत्नी भी उसकी बात से सहमत हो गई |

नाई एक चाकू लाया और मुर्गी का पेट फाड़ दिया | नाई यह देखकर दंग रह गया की मुर्गी के पेट में तो कोई अंडा नहीं था कुछ ही देर में मुर्गी भी मर गई | नाई अब अपने किये पर बहुत पछताया | अब तक तो उसे प्रतिदिन एक सोने का अंडा मिल जाता था पर ज्यादा लालच के चक्कर में उसे कुछ भी नहीं मिलेगा | उसे समझ में आ गया था की लालच का कभी अंत नहीं होता जितना मिले उसी में खुश रहना चाहिए |

शिक्षा- “ नाई और सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए | ज्यादा लालच के चक्कर में हाँथ आई हुई वास्तु भी चली जाती है |“